पृथ्वी के अन्तर्जात बल द्वारा क्षैतिज संचलन के कारण जब भूपटलीय चट्टानों में संपीडन की स्थिति उत्पन्न होती है तो चट्टानों में लहरदार मोड़ पड़ जाते हैं जिन्हें वलन के नाम से जाना जाता है। वलन में एक भाग ऊपर उठ जाता है तथा दूसरा भाग नीचे धंस जाता है।ऊँचा उठा हुआ भाग अपनति (Anticline) तथा नीचे धँसा हुआ भाग अभिनति (Syncline) कहलाता है।
वलन के प्रकार
- सममित वलन
- असममित वलन
- एकनत वलन
- समनत वलन
- परिवलन
- प्रतिवलन
- बंद वलन
- खुला वलन

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